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डिमेंशिया
सड़क किनारे रहने से डिमेंशिया
जो लोग शहर की व्यस्ततम सड़कों के किनारे वाले मकानों में रहते हैं उसमें आगे चलकर डिमेंशिया या स्मृति लोप जैसी अन्य मानसिक बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है 'लैंसेट ' जरटल में प्रकाशित एक हालिया शोध की तो व्यस्त मार्गो पर वाहनों का शोरगुल एयर वायुप्रदुषण इसान के मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त कर देता है
सन 2001 से लेकर 2012 तक कनाडा के ओंटारियो प्रदेश में 20 लाख लोगों की सेहत व अन्य आदतों पर लगातार नजर रखकर उसका अध्ययन किया गया | समीक्षा में पाया गया कि इस क्षेत्र के 2 लाख 43 हजार 611 लोगों में डिमेंशिया की समस्या हो गई थी | अनुसंधानकर्ताओं ने देखा की जो लोग व्यस्त और शोरगुल वाली सड़कों के जितना नजदीक थे, उनमें डिमेंशिया का जोखिम भी उतना ही अधिक था |
इनसे नुकसान - शोधकर्ताओं का मानना है उच्च ध्वनि, प्रदूषण के बारीक कण और नाइट्रोजन औक्साइड आदि इंसान के मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर विपरीत असर डालते हैं |
उपाय बचाव के - यूनिवर्सिटी ऑफ नटिंघम के डिमेंशिया सेंटर के निदेशक टॉम देनिंग ने इस शोध को महत्वपूर्ण और उपयोगी बताते हुए जोखिम कम करने के उपाय बताए हैं | उनकी राय में स्मोकिंग छोड़ना, नियमित व्यायाम करना और नियमित रूप से पौष्टिक आहार लेना इस जोखिम को कम करने के बेहतरीन तरीके हो सकते हैं |
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