अंगदान

अगर आप अंगदान करते हैं तो बचते हैं प्राण !

देश भर से अंग दान करने के कई मामले धीरे - धीरे सामने आ रहे हैं और यह देखना काफ़ी सुखदायी है कि लोगों ने आख़िरकार अंगदान के मूल्य व भलाई की समझना आरंभ क्र दिया है।  लोगों की इस पहल से हाल में ही कई जानें बचाई जा स्की हैं।  विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यू. एच.ओ. ) के अनुसार, भारत में मृत्यु के बाद केवल 0.01% लोगों के अंग ही दान किए जाते हैं, लेकिन पश्चिमी देशों में 70 - 80% लोग अपने अंगदान करने का संकल्प लेते हैं। 

अंगदान करने के मामले में भारत की स्थिति दुनिया के सबसे ख़राब दर वाले देशों में है। 1.2 अरब की आबादी के साथ, प्रति दस लाख आबादी ( पी.एम.पी.) में हमारे अंग दाताओं की संख्या महज 0.08 व्यक्ति ही है। यू.एस.ए., यू के., जर्मनी, नीदरलैंड जैसे देशों में अंगदान के लिए 'पारिवारिक सहमति' प्रणाली है जहां लोग अंगदाता के रूप में हस्ताक्षर करते हैं, और उनके परिवार की सहमति भी आवश्यक होती है। इन देशों में 10 - 30 पी.एम.पी. के बीच के औसत से दोगुना अंगदान किए गए हैं। सिंगापुर, बेल्जियम, स्पेन जैसे अन्य देशों में 'परिकल्पित सहमति' का ज्यादा प्रभावी प्रस्ताव है जो स्वाभाविक रूप से अंगदान की अनुमति देता है, जब तक कि वे खुद अपने जीवनकाल में स्पष्ट रूप से इसका विरोध न करें। इन देशों में भी दोगुनी दर से अंगदान किए गए हैं औसत रूप से 20 - 40 पी.एम.पी. के बीच। 

भारत में सांस्कृतिक व धार्मिक कारकों के आलावा जागरूकता, जटिल कानून व अपर्याप्त सुविधाएं भी महत्वपूर्ण बाधक हैं। हर साल भारत में लगभग 5 लाख लोग अंगों की अनुपब्धता के कारण मरते हैं, 2 लाख लोग लिवर की बिमारियों से मरते हैं, 50 हजार ह्दय रोग से मरते हैं, 1,5,0000 लोग किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हैं, लेकिन किडनी केवल 5,000 लोगों को ही मिल पाती है। लगभग 10 लाख लोग कॉर्नअल अंधापन से पीड़ित हैं और ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। वे अनेक कारणों से भी बिमारिया होती है।  

 

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