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संज्ञा और वह परिवार
संज्ञा और वह परिवार
संज्ञा के बदले आने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। इनका प्रयोग उबाऊ दोहराव से बचाता है और भाषा को सहज बनाता है। मैं, आप, वह, इस, उस, वे, इन आदि सर्वनाम कहे जाते हैं। इनके प्रयोग में सतर्कता बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ को लेकर भ्रम हो सकता है।
जैसे कि 'अमित जी ने सामान भेजने अच्छी व्यवस्था की थी, पर वे बीच में ही अटक गए।' इस वाक्य में 'वे' सर्वनाम है, पर यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि उसका प्रयोग 'अमित जी' के लिए हुआ है या 'सामानों के लिए। यानी, कौन अटक को व्यवस्था में बाधा आई, तो कहना चाहिए कि 'वे स्वयं बीच में अटक गए' .अगर सामान अटके हैं, तो 'वे सामान' कहना चाहिए।
वैसे, सर्वनामों के मामले में सबसे ज्यादा गफ़लत 'यह' और 'वह' को लेकर होती है। 'यह मेहनती लड़का है, पर उसका परीक्षा परिमाण अच्छा नहीं होता।' वाक्य में 'यह' के साथ 'उसका' प्रयोग गलत है। यहां 'इसका होना चाहिए। याद रखने के लिए हम मान सकते हैं कि यह, ये, इस, इन, इन्हें, इसे एक परिवार के सर्वनाम हैं। इनका प्रयोग पास की चीजों लिए होता है या फिर वर्तमान काल का वर्णन करते समय। 'यह मेरा घर है, इसकी दशा तो आप देख ही रहे हैं।' 'ये यादव जी हैं, इन्हें नौकरी की तलाश है।' 'इस मेज से यह पुस्तक उठाओ।'
दूसरी तरफ, वह, वे उस, उन, उन्हें, उसे आदि अन्य परिवार के सदस्य हैं। ये एक साथ प्रयुक्त होते हैं। 'उस मेज से वह पीली किताब ले आओ।' 'वह मेरा घर है, उसकी दशा तुम देख ही रहे हो।' 'उस कार में वर्मा जी बैठे हैं। वे इन दिनों परेशान हैं।'
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