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आयुर्वेद
दवाओं के बेहतर असर के लिए जरूरी है उनकी शुद्धता एक्सयपापरी या मिलावटी दवा के कारण रोग से बचाव न होने के अलावा साइटइफेक्ट होने का भी खतरा रहता है। इन दिनों आयुर्वेद दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि बाजार में मौजूद जड़ी-बूटी,फूल, बीज दवाएं कितने शुद्ध हैं,यह जानें। एक्सपर्ट के मुताबिक कुछ खास बातों का ध्यान रखकर इनकी शुद्धता की जांच की जा सकती है।
आयुर्वेद की दवाएं जैसे जड़ी-बूटी आदि खरीदते हैं तो समझदारी इसी में है कि आयुर्वेद विशेषज्ञ को दिखाने के बाद ही इन दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे में उसकी गुणवत्ता की पुष्टि हो सकेगी और गलत दवा के नुकसान से भी बच पाएंगे।
अगर डिब्बाबंद दवा खरीद रहे हैं तो आप उस दवा की एक्सपायरी डेट, आयुर्वेदिक औषधि, जीएमपी सर्टिफाइट कंपनी, आयुष मार्क 'एक गुणवत्ता प्रतीक' देखकर ही खरीदें।
दवा के डिब्बे पर फूड सप्लीमेंट, खाघ पदार्थ या 'प्रिस्क्राइब बाय डाइटीशियन नहीं लिखा होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें।
ऐसा हो रख - रखाव :-दवाएं को सूखी जगह पर रखें जहां का तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेट से ज्यादा नहीं होना चाहिए ताकि उसकी गुणवत्ता बरकरार रह सके।
औषधि को अंधेरे में रही रखें ताकि सूर्य की किरणें न पड़ें।
इसे एयर -टाइट जार या कंटेनर में रखें ताकि दवाएं हवा, ऑक्सीजन और धूल के कण, कीटाणु-जीवाणु से प्रभावित न हों।
अगर किसी ओषधि के भौतिक रूप में कोई परिवर्तन जैसे रंग, गंध, स्वाद, झाग का बनना (सिरप में ), गोले बनना (चूर्ण /पाउडर में )आदि दिखे तो दुकानदार से शिकायत करें। या वैघ की सलाह के अनुसार ही इस्तेमाल करें।
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