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स्वतंत्रता /Freedom
आज/वर्तमान समय में यूरोप की स्री भी स्वतंत्रता की मांग कर रही है और एक आदिवासी स्री भी | स्वतंत्रता एक 'हाईरारकी' में सीमित न होकर 'यूनिवर्सल' सब्जेक्ट' है | स्त्रियों की स्वतंत्रता रसोई से शुरू होकर, सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में उनकी उपस्थिति से होते हुए आसमान में उड़ने वाले हवाई जहाज में बेठी मैगजीन पढ़ती स्री तक और उनसे आगे का विषय है | कई लेयर्स में बनी स्री की स्वतंत्रता बाजार में बिकने वाली फेयरनेस क्रीम नहीं, बल्कि वह औजार है, जिससे वह अपने मानसिक और शारीरिक बंधनो का स्वयं खंडन कर सके | स्वतंत्रता... जब भी यह शब्द हमारे सामने आता है, हम कुछ जाग से जाते हैं | मानो हम नींद में थे | यूं तो अंग्रेजी और बादशाहों की गुलामी से आजाद हुए हमें काफी वक्त बीत चुका है पर आज भी परतंत्रता हमारे समाज की संरचना में छिपी हुई है | स्री और पुरष हमारे समाज के दो मौलिक अंग है और एक - दूसरे पर निर्भर होते हुए देश की आधी - आधी आबादी का निर्माण करते है, फिर भी हमारे समाज में स्वतंत्रता के पैमाने पर आज भी स्री का जीवन बहुत हद तक परतंत्र है |
In today's / present time, the woman of Europe is also demanding independence and also a tribal woman. Freedom is not limited to a 'hybrid' but 'universal' subject. Women's
independence begins from the kitchen, through their presence in the
government and private offices, the airplane flies in the airplanes,
reads the magazine, and is ahead of them. The
independence of women created in many layers is not a fairness cream
sold in the market, but it is the tool, so that it can deny itself of
its mental and physical bonds. Freedom ... whenever this word comes in front of us, we go from some awake. As if we were sleepy. We
have spent a lot of time free from the slavery of the English and the
emperors, but even today the subjection is hidden in the structure of
our society. Sree
and Purush are two fundamental elements of our society and depend on
each other to create half a half of the country, even then on our scale
of independence in our society, life of a woman is still very much in
balance.
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