दमा - सीओपीडी

दमा व सीओपीडी के बीच का फर्क जानना है जरूरी 

ज्यादातर लोग दमा और सीओपीडी ( क्रॉनिक ऑब्ट्रक्टिब पल्मोनरी डिजीज ) को एक ही रोग समझते हैं लेकिन ये दोनों ही अलग - अलग समस्या हैं। जानते हैं इनके बारे में...

 

सीओपीडी मुख्यत: स्मोकिंग की वजह से होता है इसमें सांस ज्यादा फूलती है। दमा या अस्थमा की समस्या किसी विशेष एलर्जन ( एलर्जी का कारण ) के कारण होती है। जिसमें सांस नली में सूजन आ जाती है। 

सीओपीडी के मामले 35-40 वर्ष की उम्र के बाद आते हैं वहीं दमा की समस्या बचपन से भी हो सकती है। 

दमा की शुरआती स्टेज में अटैक थोड़े-थोड़े समय पर आते हैं जबकि सीओपीडी एक लगातार बढ़ने वाली समस्या है। 

घर में बिस्तर, तकियों, पर्दों आदि में मौजूद डस्ट के कारण हॉउस डस्ट माइट पैदा हो जाते हैं, जो श्वांस नली में पहुंचते हैं और अस्थमा के अटैक का कारण बनते हैं। ऐसे मरीजों को हमेशा इंहेलर अपने पास रखना चाहिए। सीओपीडी के मरीजों को स्मोकिंग से दुरी बनाना चाहिए।

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