अपराजिता /Megrin

में आज एक ऐसे पौधा या चमत्कारी पौधे के बारे में बताएँगे जो रोगों को पराजित या हराता है इसीलिए इसे अपराजिता कहते है। अपराजिता (Megrin) बहुत सामान्य सा पौधा है इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। इसकी लताएँ होती हैं, ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी दो तरह के होते हैं। नील और सफ़ेद आप लोग अपने घरों में सफ़ेद फाइलों वाली अपराजिता ही लगाएं क्योंकि यही सांप के जहर की दुश्मन है। अपराजिता, विष्णुकांता गोकर्णी आदि नामों से भी जानी जाने वाली सफेद या नीले रंग वाली लता है जो सुंदरता के लिए पार्को और बगीचों में लगाई जाती है। इसमें बरसात के सीजन में फलियां और फूल लगते हैं। 

सिर दर्द :

*अपराजिता की फली के 8-10 बूदों के रस को अथवा जड़ के रस को सुबह खाली पेट एवं सूर्योदय से पूर्व नाक में टपकाने से सिर का दर्द हो जाता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ है। 

श्वेत कुष्ठ ( सफेद दाग ) :

* श्वेत कुष्ठ पर अपराजिता की जड़ 20 ग्राम, चक्रमर्द की जड़ 1 ग्राम, पानी के साथ पीसकर, लेप करने से लाभ होता है। इसके साथ ही इसके बीजों को घी में भूनकर सुबह - शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़ से 2 महीने में ही श्वेत कुष्ठ में लाभ हो जाता है। 

त्वचा के रोग : 

* अपराजिता के पत्तों का फांट (घोल)सुबह और शाम पिलाने से त्वचा सम्बन्धी सारे रोग ठीक हो जाते हैं। 

पीलिया :

* पीलिया, जलोदर और बालकों के डिब्बा रोग में अपराजिता के भुने हुए बीजों के आधा ग्राम के लगभग महीने चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन कराने से पीलिया ठीक हो जाती है। 

आधाशीशी यानी आधे सिर का दर्द (माइग्रेन):

* अपराजिता के बीजों के 4-5 बूंद रस को नाक में टपकाने से आधाशीशी का दर्द भी मिट जाता है। 

चेहरे की झांइयां :

* मुँह की झांइयां पर अपराजिता की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर लेप करने से मुँह की झांई दूर हो जाती है।

 साँप का जहर :

* अगर सांप के विष का असर चमड़ी के अन्दर तक हो गया हो    तो अपराजिता की जड़ का पावडर 12 ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिला कर खिला दीजिये। 

* सांप का ज़हर खून में घुस गया हो तो जड़ का पावडर 12 ग्राम दूध में मिला कर पिला दीजिये। 

*  सांप का जहर मांस में फ़ैल गया हो तो कुठ का पावडर और अपराजिता का पावडर 12-12 ग्राम मिला कर पिला दीजिये। 

* अगर इस जहर की पहुँच हड्डियों तक हो गयी हो तो हल्दी का पावड़े और अपराजिता का पावडर मिलाकर दे दीजिये। 

* दोनों एक एक टोला हों अगर चर्बी में विष फ़ैल गया है तो अपराजिता के साथ अश्वगंधा का पावडर मिला कर दीजिये और सांप के जहर ने आनुवंशिक पदार्थों तक को प्रभावित क्र डाला हो तो अपराजिता की जड़ का 12 ग्राम पावडर ईसरमूल कंद के 12 ग्राम पावडर के साथ दे दीजिये। इन सबका 2 बार प्रयोग करना काफी होगा। लेकिन सांप के विष की पहुंच कहाँ तक हो गयी है ये बात कोई बहुत जानकर व्यक्ति ही आपको बता पायेगा। 

*  मेडिकल साइंस तो कहता है की ज़हर की गति सांप की जाति पर निर्भर पर करती है लेकिन वे सांप जिन्हें जहरीला नहीं माना जाता जैसे पानी वाले सांप उनका जहर वीर्य तक पहुंचने में 5 दिन का समय ले लेता है और आने वाली संतान को प्रभावित करता है अत: सांप के जहर का निवारण जरूर कर लेना चाहिए। 


 

 

NOTE : यहाँ जिन भी ओषधियों के नाम आए है ये आपको पंसारी या कंथलिया की दुकान जो जड़ी - बूटी रखते है, उनके वहाँ मिलेगी।





Comments