माँ सरस्वती को समर्पित एक रचना
हम सौ बार सरस्वती को याद करते हैं।
उँगलियों में कलम थामे जज्बातों का इजहार करते हैं।।
जाने कैसे मन्त्र की कोशिशों की फरियाद करते हैं।
बन्द सुप्त कलिकाओं में खुश्बुओं की तलाश करते हैं।।
दिल की धडकनों में शब्दों का इजहार करते हैं।
कविता के मूर्तियों में संगीत का प्रतिष्ठान करते हैं।।
कृपालुता के आसरे में खुद को निसार करते हैं।
प्रतिबिंबित परछाईयों में किसी की तलाश करते हैं।
हर रोज गीत काव्य रचनाओं से नया अनुष्ठान करते हैं।
हम सौ बार सरस्वती को याद करते हैं।
उँगलियों में कलम थामे जज्बातों का इजहार करते हैं।
उँगलियों में कलम थामे जज्बातों का इजहार करते हैं।।
जाने कैसे मन्त्र की कोशिशों की फरियाद करते हैं।
बन्द सुप्त कलिकाओं में खुश्बुओं की तलाश करते हैं।।
दिल की धडकनों में शब्दों का इजहार करते हैं।
कविता के मूर्तियों में संगीत का प्रतिष्ठान करते हैं।।
कृपालुता के आसरे में खुद को निसार करते हैं।
प्रतिबिंबित परछाईयों में किसी की तलाश करते हैं।
हर रोज गीत काव्य रचनाओं से नया अनुष्ठान करते हैं।
हम सौ बार सरस्वती को याद करते हैं।
उँगलियों में कलम थामे जज्बातों का इजहार करते हैं।
Comments