'परेड'

गणतंत्र दिवस के इस राष्ट्रीय पर्व का मुख्य आकर्षण होती हैं 'परेड'| आइए जानते हैं राष्ट्रीय पर्व से जुड़ी रोचक बातें -

परेड का आगाज :-

गणतंत्र दिवस पर परेड की शुरआत प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के कार्यकाल के दौरान सन 1955 से हुई। 

इससे पहले 1950-54 तक गणतंत्र दिवस का उत्सव नेशनल स्टेडियम, रामलीला मैदान एवं लाल किले पर मनाया जाता था। 

मेहमा जो आते हैं :- 

इस परेड के मुख्य अतिथि आकर्षण का केन्द्र रहते हैं। अलग-अलग देशों के प्रथम नागरिकों को समारोह में बुलाया जाता है।  प्रथम परेड के मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गर्वनर-जनरल मलिक ग़ुलाम मुहम्मद थे। सन 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा हमारे अतिथि रहे। 

राजपथ :- पर होने वाली परेड का रास्ता पांच किलोमीटर से भी ज़्यादा लंबा होता है। राष्ट्रपति भवन के पास रायसीना हिल से शुरू होने वाली परेड इंडिया गेट से होते हुए लाल किले तक जाती है। 

परेड - परेड के दौरान प्रत्येक राज्य की झांकी की रफ्तार पांच किमी/घंटा होती है, ताकि दर्शक उसे ठीक से देख सकें। साथ ही हर झांकी के साथ एक जवान संगीत के साथ तालमेल बैठाकर परेड करता है। तकरीबन 1200 से ज्यादा विधार्थी अपनी कलाओं का प्रदर्शन इस परेड के दौरान करते हैं। 

गणतंत्र दिवस के तीन दिवसीय उत्सव के समापन के दौरान 'बीटिंग रीट्रीट' के वक्त महात्मा गांधी की पसंदीदा अंग्रेजी गीत की धुन 'अबाईड विद मी' बजाई जाती है। सन 1955 से ही इसे अनिवार्य रूप से बजाया जा रहा है। 


 

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