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अलग लिखें या मिलाकर
भाषा का दायरा जब व्यापक हो जाता है, तो उसके मानकीकरण की जरूरत बढ़ जाती है। मानकीकरण की जरूरत बढ़ जाती है। मानकीकरण से भाषा के व्यवहार में एकरूपता आती है और विभिन्न इलाकों में उसके प्रयोगकर्ताओं के बीच भ्रम की गुंजाइश कम हो जाती है। मानकीकरण हिस्सा हैं, वर्तनी संबंधी नियम। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने इस संबंध में नियम बनाए हैं। ये नियम बताते हैं कि कारक चिन्हों यानी विभक्ति को कैसे लिखा जाना चाहिए। ने, से, को, का, के, की, में, पर आदि कारक चिन्ह कहलाते हैं। अक्सर देखा गया है कि कुछ जगहों पर 'सबका' लिखा होता है, तो कुछ जगहों पर 'सब का' | ऐसे ही, उनमें और उन में, तुमको और तुम को, उसकी और उस की जैसे अलग-अलग प्रयोग नजर आते हैं।
निदेशालय के मुताबिक, कारक चिन्ह संज्ञा शब्दों में प्रतिपादिक से अलग लिखे जाएं। जैसे - राम ने, सीता को, रावण से, पुस्तक की, कक्षा का। दूसरी तरफ, सर्वनाम शब्दों में इन्हें प्रतिपादक के साथ मिलाकर लिखा जाना चाहिए। जैसे - हमने, तुमने, तुमको, उसका, तूने, मुझको, मुझसे, आदि। हालांकि यह नियम कहता है कि कारक चिन्ह होने के नाते 'पर' को भी सर्वनाम से मिलाकर लिखना चाहिए (उसपर, मुझपर), लेकिन आमतौर पर ऐसा प्रयोग कम ही होता है। सर्वनामों के साथ दो कारक चिन्ह होने पर पहला मिलाकर और दूसरा अलग लिखा जाएगा। जैसे - 'इसमें से'।सर्वनाम और कारक के बीच 'ही' , 'तक' आदि हों, तो सबको अलग लिखा जाना चाहिए। जैसे- आप ही के लिए, मुझ तक को। ऐसी ही दुविधा 'कर' को लेकर होती है- 'मिलाकर' लिखें या 'मिला कर' ? इस बारे में नियम कहता है कि पूर्वकालिक प्रत्यय 'कर' को क्रिया से मिलाकर लिखा जाना चाहिए, जैसे - जाकर, बैठकर, खाकर, गाकर अपनाकर, सरकाकर, आदि।
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