ताजा गिलोय

किसी अमृत से कम नहीं है ताजा गिलोय.....

''आयुर्वेद'' हो या एलोपैथी गिलोय के फायदों पर सभी एकमत हैं। दुनिया भर में हुए शोधों में साबित हो चुका है कि गिलोय किसी अमृत से कम नहीं है बुखार को ठीक करने का इसमें अद्धुत गुण है। यह मलेरिया पर अधिक प्रभावी नहीं है लेकिन शरीर की समस्त मेटाबोलिक क्रियाओं को व्यवस्थित करने के साथ औषधि के साथ देने पर उसके घातक प्रभावों को रोक कर शीघ्र लाभ देती है। 

गिलोय उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद करती है। यह दिल से संबंधित बिमारियों से बचाए रखता है। 

गिलोय की जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है। 

गिलोय का नियमित प्रयोग सभी प्रकार के बुखार, फ्लू,पेट कृमि, खून की कमी, निम्न रक्तचाप, दिल की कमजोरी, टीबी, मूत्र रोग, एलर्जी,पेट के रोग, मधुमेह, चर्म रोग आदि अनेक बिमारियों से बचाता है। गिलोय भूख भी बढ़ाती है। 

दीर्घायु प्रदान करने वाली और अमृत तुल्य गिलोय और गेहूं के ज्वारे के रस के साथ तुलसी के 7 पत्ते तथा नीम के पत्ते खाने से कैंसर जैसे रोग में भी लाभ होता है। 

वैज्ञानिकों के अनुसार इसमें एल्केलाइड गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा, अल्कोहल, ग्लिस्टरोल, अम्ल व उड़नशील तेल होते हैं।इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। वायरसों की दुश्मन गिलोय रोग संक्रमण रोकने में सक्षम होती है। यह एक एंटीबायोटिक भी है। 

इसके अलावा यह पीलिया, जलन, मोटापा कम करने, खुजली, कान दर्द आदि।

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