निर्मल रहे धरा सदा

अंतरिक्ष से दिखाई देती,

नील - हरित मणि सी सुंदर धरा | 

वायु, जल और खनिज, 

बिखरी चहु और, अनुपम संपदा | 

कहीं अति उष्ण मरुस्थल, 

कहीं हिम मडित उश्रंग शिखरा 

कहीं मखमली घास, कहीं वन सघन,

जल, स्थल, मृदा और पवन | 

हर जगह, हर रूप में यहां जीवन,

जैव - अजैव दोनों से 

प्रकृति का संतुलन | 

प्रत्येक जीव 

खाघ श्रृंखला की एक कड़ी है, 

नष्ट होती प्रजाति, 

टूट जाती यह लड़ी है | 

माना विकास की राह पर बढ़े हैं हम, 

परन्तु नियम प्रकृति के तोड़ दिए सब | 

जैव - विविधता नष्ट हुई,

कट गए वन, हो रहा अवैध खनन | 

मानव शरीर बना रोगों का घर,

विषाक्तु वायु, हुआ मृदा और 

जल प्रदुषण | 

विकाश न हो पर्यावरण की कीमत पर, 

मनन करता है अब इसी बात पर | 

रोक लगे अधिक कार्बन उत्सर्जन पर,

ऊर्जा के स्वच्छ विकल्प हों | 

कचरे का हो उचित निस्तारण,

धरती का आंचल सुंदर व स्वच्छ हो |  

 

 

 

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